- मामले में कितना अमृत, कितना विष!
- सीएम का महादलित प्रेम कहीं दिखावा तो नहीं?
* प्रभात कुमार
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बारे में विपक्ष का आरोप है कि उनके कथनी और करनी में अंतर के प्रतीक है। ताजा आरोप बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा के रिटायरमेंट से 27 दिन पहले बिहार के डेवलपमेंट कमिश्नर प्रत्यय अमृत के नोटिफिकेशन को लेकर लगाया जा रहा है। राज्य सरकार के द्वारा प्रत्यय अमृत को 27 दिन पहले बिहार के मुख्य सचिव बनाने का फैसला राज्य के इतिहास में पहली घटना है।
इस घटना ने बिहार के सुपर सीएम डीके सर को एक बार फिर से चर्चा में ला दिया है। जनता दल यूनाइटेड के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और वर्तमान में जन सुराज के नेता होने के साथ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लंबे और अरसे तक प्रधान सचिव रहे आरसीपी सिंह ने इंटरव्यू में दो टूक शब्दों में कहा है कि यह फैसला मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का नहीं हो सकता है। यह सच है कि श्री सिंह जितने लंबे और से तक अधिकारी और राजनेता के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीब रहे। उनके स्वभाव से शत प्रतिशत अवगत रहे हैं। उन्होंने अपने इंटरव्यू में स्टार टीवी के संपादक सरोज सिंह से यहां तक कहा कि किसी अधिकारी को हटाने या उसे पद स्थापित करने के मामले में वह इतना कठोर थे कि उनके सामने उनकी भी नहीं चलती थी।
ऐसे में इस राज्य को लेकर एक बड़ा सवाल फिर खड़ा होता है कि बिहार को आखिर कौन चला रहा है और किसके इशारे पर चल रहा है। जो चल रहा है उसके पीछे किसकी शक्ति है। क्या नीतीश कुमार वर्तमान में घुटना टेक स्थिति में है। जैसा की चर्चा है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह, दुलारे मंत्री विजय कुमार चौधरी और मंत्री अशोक चौधरी के चौकड़ी के आगे अब उनकी एक नहीं चलती है। इन चार नेताओं और देश के गृह मंत्री अमित शाह के दबाव में हैं बिहार के सरकार को उनके निर्देश पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव दीपक कुमार चल रहे हैं। यह मेरा आप नहीं। मेरा कथन नहीं। कुल मिलाकर जो पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने अपने इंटरव्यू में कहा। उसका सार संक्षेप माना जा सकता है। यह अतिरिक्त यह विपक्ष का आरोप और जनता दल यूनाइटेड के समता काल के आमतौर पर साथियों का आरोप है। इसके अतिरिक्त पूरे राज्य में लोगों के बीच ऐसी चर्चा है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा मुख्य सचिव के मामले में 27 दिन पहले पत्र जारी करने के फैसले को पूर्व केंद्रीय मंत्री रामचंद्र प्रसाद सिंह ने संभव बताया है। इतने दमदार तर्क के बाद आरोप खारिज नहीं किया जा सकता। मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा से राजस्थान के महादलित समुदाय से आते हैं। महादलित को लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का मिशन और कार्य अपने आप में ऐतिहासिक है और यह फैसला भी ऐतिहासिक है।
बिहार में एक समय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के द्वारा इस्तीफा देकर महादलित समुदाय के उनके कैबिनेट में मंत्री रहे जीतन राम मांझी को बिहार का बागडोर सौंपना और 8 महीने बाद फिर बिहार के मुख्यमंत्री पद को संभालना। यह भी एक इतिहास रहा है। इसके पीछे की कहानी अमृतलाल मीणा या जीतन राम मांझी ही बता सकते हैं? फिर भी यह आश्चर्यजनक है।
वैसे तो माना जाता है कि वह जो कहते हैं वही करते हैं लेकिन यह बात सभी पर लागू नहीं होता। मैं इसलिए कह रहा हूं कि जब भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की बात होती है तो महादलित प्रेम भी चर्चा का विषय बनता है। वही महादलित प्रेम आज की तारीख में बीते 24 घंटे के एक फैसले से सवाल के रूप में सामने आ रहा है। एक महादलित का बेटा जो इस राज्य का मुख्य सचिव रहा। उसे 27 दिन पहले ही अपने अधिकार से वंचित कर दिया गया है। अधिकार पर अंकुश लगाने के लिए उनके कार्यालय में देश की आजादी के बाद से संभवत पहली बार उनके कार्यालय में ओएसडी का पद सृजित किया गया है। जिस अधिकारी को ओएसडी के रूप में वहां पद स्थापित किया गया है। वह भावी किस राज्य के मुख्य सचिव होंगे।
मैं आहत बिहार के मुख्य सचिव अमृतलाल मीणा के मामले में जारी नोटिफिकेशन को लेकर हूं। उनके स्थान पर बिहार सरकार ने जिस व्यक्ति को अगले मुख्य सचिव के रूप में प्रस्तावित किया है। उसका नाम प्रत्यय अमृत है। जिसे बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दो वरिष्ठ अधिकारियों को पीछे छोड़कर राज्य का विकास आयुक्त बनाया था। जब अमृतलाल मीणा इस राज्य के मुख्य सचिव बने थे। उस समय भी प्रत्यय अमृत की मुख्य सचिव के दावेदार के रूप में बड़ी चर्चा थी। आज की तारीख में भी बिहार के कई अधिकारी मुख्य सचिव के पद के लिए प्रत्यय अमृत से बड़े दावेदार हैं। जिसमें अतीश चंद्रा और चंचल कुमार भी शामिल है। चंचल कुमार मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए अनजान नहीं। वह अपनी सेवा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ रेल मंत्री से लेकर बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव के रूप में भी दे चुके हैं। उसके बावजूद अमृत प्रत्यय प्रेम का कारण सवालिया निशान बना हुआ है। बिहार में प्रत्यय अमृत की गिनती एक अच्छे पदाधिकारी के रूप में होती है। वह बिहार के लिए कितने अच्छे साबित होते हैं। यह तो आने वाला समय बताएगा अथवा उसे शहर के लोग बताएंगे। जिस मुजफ्फरपुर शहर में उनका जन्म हुआ और अब तक कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद इस शहर की तस्वीर नहीं बदली।
जहां तक सवाल प्रत्यय अमृत का है। वह कितने यशस्वी और उत्कृष्ट अधिकारी हैं। यह तो पड़ताल का विषय है और मुख्य सचिव के रूप में उनकी सेवा अभी भविष्य के गर्भ में हैं।
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