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अहंकार औराई की धरती का हिस्सा तो नहीं!

- विशेष राज्य नहीं, विशेष क्षेत्र के दर्जे का हकदार है औराई

- पक्ष-प्रतिपक्ष दोनों है अहंकार में डूबा

प्रभात कुमार

अहंकार औराई की धरती का हिस्सा तो नहीं!


देश की राजनीति में अब अर्थ का बोलबाला है। एक खास राजनीतिक दल के कार्यकर्ता से लेकर नेता विशेष तौर पर अब भाजपा है तो मुमकिन है पर भरोसा करते हैं। शेष को अर्थ के भरोसे छोड़ दिया जाता है। यह मैं नहीं भाजपा के एक पूर्व मंत्री और विधायक का ऐसा मानना है। वैसे, इसमें कोई नई बात नहीं है। आज की तारीख में जो भी नेता विधायक- सांसद का चुनाव लड़ते हैं। उनका यही भरोसा होता है। कुछ लोग आक्रोश में बोल देते हैं और कुछ मन में दबा के रखते हैं। आज की तारीख में पैसे की राजनीति है और राजनीति है तो पैसा है। यह दोनों अपने आप में बड़ा सत्य है।

आज की राजनीति में जो घटित हो रहा है। वह बहुत सारे लोगों के कल्पना से भी बाहर है। अभी मुजफ्फरपुर के एक पूर्व मंत्री और विधायक पत्रकारों से खासा नाराज हैं। भले ही वह बोले नहीं लेकिन उनके अंतरात्मा में यही बात है कि दो टके का आदमी होकर कोई सवाल करें। यह मंजूर नहीं है। आज नेता यही चाहते हैं कि सवाल भी उनका हो और जवाब भी उनका ही हो। किसी को शायद आजकल कुछ लोग गोदी मीडिया का नाम दे दिया है। 

सचमुच मुजफ्फरपुर के एक खास इलाके और विधानसभा में जो स्थिति है। अगर वहां का कोई सच्चा प्रतिनिधि हो, तो उसी तरह क्षेत्र विशेष के लिए सरकार से मन करता। बिहार के माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बिहार के लिए विशेष राज्य का दर्जा की मांग करते हैं। मैं बात औराई की कर रहा हूं। मैं बात वर्तमान और पूर्व विधायक और मंत्री की भी कर रहा हूं। मुझे नहीं मालूम कि इस मिट्टी में क्या है? जिसके कारण यहां से निर्वाचित होने वाला 100 में 90 फ़ीसदी जनप्रतिनिधि अहंकारी अगर उसे कहें तो नाराजगी का कारण हो सकता है लेकिन यह शायद गलत नहीं हो। पांडव राय से लेकर रामसूरत राय तक के बारे में जो बातें सामने आती है। उसके आधार पर कह रहा हूं। 

निजी तौर पर मेरे संबंध किसी से भी कभी बुरे नहीं रहे लेकिन पत्रकार के रूप में जब इस क्षेत्र को देखता हूं, तो जो औराई की दयनीय स्थित है। उसमें यह क्षेत्र पूरे बिहार में अपने आप में एक नमूना दिखता है। अब शायद पूरे बिहार में कोई जगह ऐसा हो जहां यहां की तरह चचरी का पुल हो और हुकूमत भी अपनी हो। जिस पल से गुजरने के लिए अभी भी पैसा देना पड़ता हो। जहां बाढ़ बिहार में सबसे पहले आती हो अभी भी तीन से 6 महीना पानी में गुजरता हो। सड़क, बिजली, पानी सब में फर्क दिखा जा सकता है। फिर भी यह क्षेत्र अपने विकास के लिए अपने विधानसभा क्षेत्र से बाहर आयोजित विकास योजनाओं के उद्घाटन और शिलान्यास समारोह एक ऐसा इतिहास रचा हो। जिसके लिए भारतीय जनता पार्टी में भी पूर्व मंत्री और स्थानीय विधायक रामसूरत राय से चिरौरी करनी पड़े। 

साहिल हथौड़ी उच्च विद्यालय के प्रांगण में आयोजित कार्यक्रम में जिस तरह से ग्रामीण कार्य मंत्री अशोक चौधरी के ऊपर कई जेसीबी से फूलों की वर्षा हुई। निश्चित तौर पर बोचहा विधानसभा क्षेत्र के इस स्कूल के प्रांगण में बिहार सरकार में कई बार मंत्री रहे और विधायक होने का एक रिकॉर्ड काम करने वाले स्वर्गीय रमई राम का भी कभी स्वागत नहीं देखा गया, लेकिन एक सवाल मन को कचोटा है। वह यह की रामसूरत भाई ने औराई विधानसभा में इतने बड़े जश्न को आयोजित क्यों नहीं किया। 

आज मैंने एक सोशल मीडिया पर रामसूरत भाई का एक साक्षात्कार देखा। जिस तरह से उन्होंने अहंकार भरे शब्दों में कहा-' आखिर भाजपा है ना भाई।'जनता सवाल करती ही रहती है... और पत्रकार लोगों का तो यही काम है। भाई साहब औराई की जनता के सवालों को लेकर इतनी तल्खी क्यों!

सवाल तो यह उठता है न कि भारतीय जनता पार्टी के कितने वरिष्ठ मंत्री और विधायक हैं। आप देश के गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय जी के भी बहुत करीबी हैं। आपका मधुर संबंध वर्तमान डिप्टी सीएम विजय सिन्हा से भी है। फिर अशोक चौधरी की जरूरत क्यों और उनके इतने आदर सत्कार के पीछे आखिर कुछ तो होगा। 

 जब जनता दल यूनाइटेड के प्रदेश प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह सवाल करते हैं कि अशोक चौधरी आरएसएस के हैं या जनता दल यूनाइटेड के, तो यह सवाल भले ही पार्टी के आका दबा देते हैं। अब जब जनता दल यूनाइटेड के वरिष्ठ मंत्री और नीतीश कुमार के प्रिय अशोक चौधरी साहिल हथौड़ी हाई स्कूल के प्रांगण में अपने स्वागत से अभिभूत दिखते हैं, तब मुझे यह सोचने के लिए विवश हो जाना पड़ता है कि वह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के क्या सच्चे और वफादार दत्तक पुत्र हैं? अभी बहुत दिन नहीं बिता जब रामसूरत राय मंत्रिमंडल से हटाए गए और सरकार जब बदली तो उनकी जो प्रतिक्रिया मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के मामले में बिहार की जनता के सामने आई थी। यही कारण है कि मुझे बार-बार जनता दल यूनाइटेड का भारतीय जनता पार्टी में विलय होने की औपचारिकता ही बाकी दिखती है।

"जब नाश मनुज पर छाता है, पहले विवेक मर जाता है"- रामधारी सिंह दिनकर की एक प्रसिद्ध कविता की पंक्ति है। आज कृष्ण जन्माष्टमी है और यह पंक्ति श्री कृष्ण की है। रश्मिरथी में कवि दिनकर अपनी रचना में श्री कृष्ण के मुख से डाला है।इसका अर्थ है कि जब व्यक्ति पर विनाश की स्थिति आ जाती है, तो उसका विवेक पहले ही नष्ट हो जाता है यह भी सच है कि "भाग्य हमेशा एक जैसा नहीं रहता, देखते हैं आगे क्या होता है"। इसका मतलब है कि समय बदलता रहता है और आज जो स्थिति है, वह हमेशा वैसी नहीं रहेगी।

( लेखक हिंदुस्तान दैनिक के सीनियर रिपोर्टर रहे हैं )

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