Hot Posts

6/recent/ticker-posts

क्या चिराग होंगे बिहार के मुख्यमंत्री, बदलेगी हुकूमत?

- क्यों हो रही है '2020 का बदला अब 2025 में' की बात!

* प्रभात कुमार

क्या चिराग होंगे बिहार के मुख्यमंत्री, बदलेगी हुकूमत?


बिहार की राजनीति में चिराग पासवान ही नहीं रामविलास पासवान भी एनडीए में बहुत दिनों तक बिहार की सत्ता की कुंजी बने हुए थे। उनके के बिना कोई रास्ता संभव नहीं था। यही कोशिश उनके पुत्र चिराग पासवान की भी है। जिन्होंने 2020 के चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हनुमान के रूप में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ऐसा झटका दिया था। जिससे अभी वह उबर नहीं सके हैं। चिराग पासवान की मेहरबानी ही मानिए कि बीजेपी बिहार में एनडीए में बड़े भाई के रूप में उभरा और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार राज्य में तीसरे नंबर की पार्टी बन गई। 

2025 में भी कुछ इरादा लोजपा रामविलास के चिराग पासवान का 2020 जैसा ही है। कुछ मामले में तो 2020 से भी ज्यादा 25 का चुनाव खतरनाक है। इस बार के चुनाव में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के लिए कौन-कौन खतरा बनेंगे। इसकी एक लंबी सूची बन चुकी है। एनडीए में जो भी पार्टियां हैं। वह सभी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को अब मुख्यमंत्री की कुर्सी पर देखना पसंद कर रही है। यह मान लेना शायद गलत होगा। जहां तक लोजपा रामविलास का सवाल है। उसका व्यवहार और रूख सामने है। इस बार तो जनता दल यूनाइटेड में भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के सवाल पर कितना एका है और पार्टी कितना एकजुट है। यह तो पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा और प्रदेश अध्यक्ष उमेश कुशवाहा ही बता सकते हैं। वैसे जदयू प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह के अगर दावे को छोड़ दें। तो शायद इस पर खुलकर बोलने वाले नेता कम और कार्यकर्ता जाते हैं। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह उस तरह से लोजपा रामविलास के नेता चिराग पासवान पर हमलावर नहीं हैं। जिस तरह के तल्ख टिप्पणी के लिए वह जाने जाते हैं। मालूम हो की कि वाम राजनीति से जदयू में आए नीरज कुमार सिंह और अब जिस तरह से दक्षिण पंथ की गोद में बैठे हुए हैं। छोटा सा उदाहरण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में दिखा। जब जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार सिंह भगवा फरवरी बांधकर भगवा ड्रेस में चिड़ियाखाना के पास वैदिक विद्यालय के छात्रों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर फूलों की बरसात करते दिखे थे। ऐसे में आज की लोजपा रामविलास की राजनीति को 2020 से अलग कर देखना। फिलहाल संभव नहीं दिख रहा है। भले ही कुछ पत्रकार चिराग पासवान और भारतीय जनता पार्टी के डिप्टी सीएम और नेता सम्राट चौधरी से उनके रिश्ते 36 होने की बात कर रहे हैं। 

आने वाले समय में सम्राट चौधरी की भी अग्नि परीक्षा मंत्री नीतीश कुमार और लोजपा रामविलास सुप्रीमो चिराग पासवान के सवाल को लेकर होनी है। भाजपा में भी मंगल पांडे का कमंडल और सम्राट चौधरी के मंडल का टकराव अगर सुप्रचारित और प्रायोजित टकराव नहीं है तो बिहार में मंडल बनाम कमंडल के निर्णायक लड़ाई का एक अखाड़ा बन सकता है। बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले जिस तरह से चिराग पासवान 243 सीट पर लड़ने और 2020 के फार्मूला को दोहराने की बात कर रहे हैं और अगर उनके साथ 2020 की तरह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का आशीर्वाद इस बार भी बना हुआ है तो इतना तय है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विदाई को उनके एनडीए में रहते हुए रोक पाना असंभव सा है।

1995 से बिहार में भारतीय जनता पार्टी अपने मुख्यमंत्री और सरकार का इंतजार कर रही है।कोई 30 साल का सफर के अब परिणाम की घड़ी है। इस मिशन को पूरा करने के एवज चिराग पासवान को मुख्यमंत्री की कुर्सी मिल जाएगी। यह अनुमान से परे हैं। कारण यह है कि फिर जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा या फिर मुकेश साहनी क्यों नहीं। सवाल यह भी है कि क्या भारतीय जनता पार्टी नीतीश कुमार के बाद फिर प्रतीक्षा की मुद्रा में होगी। उसके कार्यकर्ता यह सहन कर सकेंगे। आज की तारीख में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी इकबाल पहले जैसा नहीं रहा। वर्तमान भारतीय राजनीति में नीतीश कुमार ही नहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कमजोर हुए हैं। यह बात और है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं और मीडिया का एक बार हिस्सा अभी उनके गोद में है।

बिहार में जिस तरह से मीडिया का एक बड़ा हिस्सा लोजपा रामविलास और जन सुराज के चिराग पासवान और प्रशांत किशोर की वकालत में जुटा है। जिसका मकसद देशभर में भगवा सरकार से बेदखल बिहार में पुराने मिथक को तोड़ना है।अगर आज बिहार में सत्ता से बेदखल होने के कगार पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पहुंचे हैं, तो इसके दोषी वह कम नहीं। जब 2024 के चुनाव में जदयू के कार्यकर्ता लोजपा रामविलास के उम्मीदवार के खिलाफ 2020 का बदला 2024 में का नारा लगा रहे थे, तब इसी लोजपा रामविलास के उम्मीदवारों के लिए नीतीश कुमार क्षेत्र में जमकर पसीना बहा रहे थे। आज लोजपा रामविलास एनडीए में 100% विनिंग स्ट्राइक रेट की बात कर रहा है। झोपड़ी उजारने और घर तोड़ने की बात कर रहा है। तब जदयू की तरफ से यह चुप्पी क्यों है।

प्रभात कुमार, संपादक, लोकवार्ता न्यूज


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ